उत्तराखंड में पश्चिमी विक्षोभ ने बर्फबारी लाई, तापमान में 5 डिग्री की गिरावट

उत्तराखंड में पश्चिमी विक्षोभ ने बर्फबारी लाई, तापमान में 5 डिग्री की गिरावट

29 अक्टूबर 2025 को उत्तराखंड के हिमालयी क्षेत्र में पश्चिमी विक्षोभ ने अचानक दस्तक दे दी — बारिश और बर्फबारी के साथ। इसके बाद मुक्तेश्वर जैसे ऊंचे स्थानों पर तापमान 13.6 डिग्री सेल्सियस तक गिर गया, जबकि देहरादून में न्यूनतम तापमान 16.2 डिग्री सेल्सियस रहा। ये सिर्फ एक ठंडी सुबह नहीं, बल्कि शीतकाल के आगमन की पहली चेतावनी है। मौसम विज्ञान केंद्र देहरादून के अनुसार, पिछले 24 घंटे में तापमान में 4 से 5 डिग्री सेल्सियस की गिरावट दर्ज की गई है — और ये सिर्फ शुरुआत है।

क्यों बदल गया मौसम इतना तेजी से?

मंगलवार, 28 अक्टूबर को एक ताजा पश्चिमी विक्षोभ हिमालय के पश्चिमी किनारे पर पहुंचा। इसके साथ ही आर्द्रता और ठंडी हवाएं उत्तराखंड की ओर बढ़ीं। देहरादून और हरिद्वार में सुबह बादल छाए रहे, दोपहर में थोड़ी धूप निकली, लेकिन शाम होते-होते फिर से आसमान गहरे बादलों से ढक गया। ये नाटकीय बदलाव किसी अचानक बारिश नहीं, बल्कि एक बड़े मौसमी प्रक्रिया का हिस्सा है।

मौसम विशेषज्ञों के मुताबिक, यह विक्षोभ बंगाल की खाड़ी में बने मोंथा चक्रवात के प्रभाव का अप्रत्यक्ष परिणाम है। हालांकि मोंथा ने उत्तराखंड को सीधे नहीं छुआ, लेकिन उसके ऊपरी वायु प्रवाह ने हिमालय के दक्षिणी ढलानों पर बादलों की आवाजाही को बढ़ा दिया।

कहाँ हुई बर्फबारी, कहाँ बारिश?

मुक्तेश्वर और धारचूला में ऊंचाई के कारण हल्की बर्फबारी दर्ज की गई। ये जगहें पहले ही शीतकाल की तैयारी में थीं, लेकिन इतनी जल्दी बर्फबारी इस साल के लिए असामान्य है। देहरादून में तापमान 28.3 डिग्री सेल्सियस (अधिकतम) और 16.2 डिग्री सेल्सियस (न्यूनतम) रहा — जो अक्टूबर के लिए निचले अंत में है। ऊधमसिंह नगर में तापमान 25.4 डिग्री सेल्सियस से नीचे गिर गया।

मौसम विभाग के डेटा के मुताबिक, अक्टूबर 2025 में राज्य में सामान्य से 37 प्रतिशत अधिक बारिश हुई है। लेकिन अजीब बात ये है कि पिछले 20 दिनों से कहीं भी बारिश नहीं हुई — फिर भी ये महीना बारिश के मामले में सबसे भारी रहा। इसका मतलब? बारिश एक छोटे समय अंतराल में जमकर हुई, फिर बंद हो गई।

विशेषज्ञ क्या कह रहे हैं?

डॉ. अमित शर्मा, मौसम विज्ञान केंद्र देहरादून के वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक, बोलते हैं: "पश्चिमी विक्षोभ के चलते हिमालय की चोटियों पर बर्फबारी हुई है। ये सिर्फ ठंड नहीं, बल्कि शीतकाल का वास्तविक आगाज है। अगले 72 घंटे में तापमान और नीचे जा सकता है।"

उनके साथ डॉ. राजीव कुमार, मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक, भी सहमत हैं: "मंगलवार को जब विक्षोभ हिमालय के किनारे पर पहुंचा, तो पूरे राज्य का मौसम बदल गया। अगले 2-3 दिनों — 30 अक्टूबर से 1 नवंबर तक — यही तापमान बना रहेगा। ऊंचे क्षेत्रों में हल्की बर्फबारी की संभावना बनी हुई है।"

शीतकाल कैसा रहेगा?

शीतकाल कैसा रहेगा?

यहां की एक बड़ी खबर ये है कि मौसम विभाग के अनुसार, इस साल का शीतकाल सामान्य के करीब रहने वाला है। ला नीना का कोई बड़ा प्रभाव उत्तराखंड पर नहीं पड़ने की संभावना है। इसका मतलब — बहुत ज्यादा ठंड नहीं, लेकिन बहुत ज्यादा गर्मी भी नहीं।

अब तक के अनुभवों के मुताबिक, जब पश्चिमी विक्षोभ अक्टूबर के अंत में सक्रिय होता है, तो नवंबर की शुरुआत में ठंड और गहरी हो जाती है। ये बारिश और बर्फबारी न केवल तापमान कम कर रही है, बल्कि जमीन को भी तैयार कर रही है — जिससे अगले कुछ हफ्तों में अचानक बर्फ गिरने की संभावना बढ़ जाती है।

क्या अब ठंड निरंतर रहेगी?

अभी तो तापमान में गिरावट आई है, लेकिन ये एक तात्कालिक घटना नहीं, बल्कि एक नए चक्र की शुरुआत है। देहरादून और हरिद्वार में अगले दिनों में सुबह-शाम का तापमान अक्सर 14-18 डिग्री सेल्सियस के बीच रहेगा। जबकि ऊंचे क्षेत्रों में रातों में 0-5 डिग्री सेल्सियस तक जा सकता है।

एक बात ध्यान रखने वाली है — ये ठंड अभी तक बहुत शुष्क है। अगर अगले हफ्ते एक और पश्चिमी विक्षोभ आता है, तो नमी बढ़ेगी, और बर्फबारी का दायरा और फैल सकता है। ये वो समय है जब टूरिस्ट्स को गर्म कपड़े और नमी-रोधी सामान लेने की सलाह दी जाती है।

अगला कदम क्या है?

अगला कदम क्या है?

मौसम विभाग ने अगले 72 घंटे के लिए एक "मध्यम स्तर की चेतावनी" जारी की है। यात्री और स्थानीय निवासी दोनों को बर्फबारी के कारण सड़कों पर बर्फ के जमाव की संभावना के लिए तैयार रहने की सलाह दी गई है।

पहाड़ी इलाकों में स्थानीय लोग पहले से ही गर्म कपड़े और ईंधन की तैयारी कर रहे हैं। कुमाऊं के एक किसान ने कहा, "हमें याद है 2021 में जब अक्टूबर में बर्फ गिरी थी — फसलें बर्फ में दब गईं। इस बार भी हम तैयार हैं।"

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

क्या अक्टूबर में बर्फबारी सामान्य है?

नहीं, अक्टूबर में बर्फबारी असामान्य है। आमतौर पर हिमालय के ऊंचे क्षेत्रों में नवंबर के अंत या दिसंबर की शुरुआत में पहली बर्फबारी होती है। इस बार मुक्तेश्वर में 29 अक्टूबर को बर्फबारी होना इतिहास में दर्ज हो सकता है — ये तापमान और विक्षोभ के असामान्य संयोग का परिणाम है।

पश्चिमी विक्षोभ क्या होता है?

पश्चिमी विक्षोभ एक ऊंची वायुमंडलीय तंग दबाव वाली व्यवस्था है जो मध्य पश्चिम एशिया से उत्तरी भारत की ओर बढ़ती है। ये हिमालय के पार आर्द्रता लाता है और बर्फबारी या बारिश का कारण बनता है। ये शीतकाल की शुरुआत का संकेत होता है, खासकर उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में।

इस बार शीतकाल सामान्य से अधिक ठंडा होगा?

नहीं। मौसम विभाग के अनुसार, इस साल ला नीना का कोई मजबूत प्रभाव नहीं दिख रहा है। शीतकाल सामान्य के करीब रहने की संभावना है — यानी बहुत ज्यादा ठंड नहीं, लेकिन अक्टूबर के अंत में आए पश्चिमी विक्षोभ के कारण शुरुआत जल्दी हो गई है।

क्या अगले हफ्ते और बर्फबारी होगी?

हां, संभावना है। मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार, 30-31 अक्टूबर और 1 नवंबर को फिर से एक नया पश्चिमी विक्षोभ हिमालय के किनारे पर आ सकता है। अगर ये बर्फबारी के साथ आया, तो मुक्तेश्वर, धारचूला और रूद्रप्रयाग जैसे स्थानों पर बर्फ का जमाव बढ़ सकता है।

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अमितेश व्यास

अमितेश व्यास

मेरा नाम अमितेश व्यास है। मैं एक परिवार और पत्रिका विशेषज्ञ हूं। मैं कविता के विषय में लिखने का बहुत शौक रखता हूं। मुझे अपनी कविताओं के माध्यम से लोगों के दिलों को छूना बहुत पसंद है। मेरी लेखनी मुझे मेरे पाठकों के बीच एक विशिष्ट पहचान दिला रही है।

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