राजकोट के सौराष्ट्र क्रिकेट संघ स्टेडियम में 19 नवंबर, 2025 को खेले गए तीसरे अनौपचारिक ओडीआई में दक्षिण अफ्रीका ए ने 73 रनों से जीत हासिल कर अपनी एकमात्र जीत दर्ज की, लेकिन फिर भी भारत ए ने तीन मैचों की सीरीज 2-1 से जीत ली। यह नतीजा किसी भी खिलाड़ी या फैन के लिए अजीब लग सकता है — आखिरी मैच हारने के बावजूद सीरीज जीतना। लेकिन यही तो क्रिकेट का असली जादू है। यह सीरीज बस एक दोस्ताना मुकाबला नहीं थी; यह बोर्ड ऑफ कंट्रोल फॉर क्रिकेट इन इंडिया (BCCI) और क्रिकेट दक्षिण अफ्रीका (CSA) के लिए 2026 आईसीसी चैम्पियंस ट्रॉफी के लिए तैयारी का एक बड़ा हिस्सा था। और इसके बाद दक्षिण अफ्रीका ए की टीम दिसंबर में इंग्लैंड की यात्रा पर निकल गई, जबकि भारत ए अगले महीने एशियाई खेलों के लिए अपनी तैयारियां जारी रखेगा।
पहला मैच: रुतुराज का शानदार शतक और छठा सबसे बड़ा चेज़
13 नवंबर को शुरू हुई सीरीज का पहला मैच एक यादगार दिन बन गया। दक्षिण अफ्रीका ए ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी की और 285/9 का स्कोर खड़ा किया। ओपनर डेलानो पोटगीटर ने 90 रन बनाए, जबकि टेम्बा बावुमा और जॉर्डन एस्टरह्यूजेन ने आधे शतक लगाए। लेकिन जब रुतुराज गैकवाड ने 129 गेंदों में 117 रनों का शानदार शतक जड़ा, तो मैच का रुख बदल गया। उनके साथ अभिषेक शर्मा ने 25 गेंदों में 31 रन और नितिश कुमार रेड्डी ने 26 गेंदों में 37 रन बनाकर भारत ए को 290/6 के स्कोर से जीत दिला दी। यह चेज़ भारत में अब तक का छठा सबसे बड़ा सफल चेज़ बन गया — और यहां तक कि एस्पीएनक्रिकइनफो की रिपोर्ट में एक गलती भी हो गई, जिसमें विदर्भ के हर्ष दुबे के नाम से 84 रनों का जिक्र किया गया, जबकि उनका नाम स्कोरकार्ड में नहीं था। यह गलती बताती है कि यह मैच कितना जल्दी से जल्दी रिपोर्ट किया गया।
दूसरा मैच: निशांत सिंधु का जादू और दक्षिण अफ्रीका का धस गिरना
16 नवंबर को दूसरा मैच एकदम अलग तरह का था। दक्षिण अफ्रीका ए ने बल्लेबाजी करते हुए सिर्फ 132 रन बनाए — जो कि एक ओडीआई में बहुत कम है। इसका कारण था निशांत सिंधु। 21 साल के इस स्पिनर ने 7 ओवर में केवल 16 रन देकर 4 विकेट लिए। उनके गेंदबाजी के बाद दक्षिण अफ्रीका ए की टीम जैसे बर्फ के घर जैसी गिर गई। भारत ए ने सिर्फ 1 विकेट के नुकसान पर 135/1 का स्कोर बनाया, और रुतुराज गैकवाड ने अपने बल्ले से 68* रन बनाकर दूसरा मैच जीत दिलाया। यहां तक कि दक्षिण अफ्रीका के फास्ट बॉलर लुथो सिपाम्ला भी एक विकेट लेने में सफल रहे। यह दूसरा जीत भारत ए के लिए बहुत जरूरी था — अब उनके पास सीरीज जीतने के लिए बस एक मैच की जरूरत थी।
तीसरा मैच: प्रेटोरियस का आग का बारिश और भारत का अधूरा सफर
19 नवंबर को आखिरी मैच में भारत ए ने टॉस जीतकर फील्डिंग का फैसला किया — एक ऐसा फैसला जिसके बाद वे शायद खेल की गति को ठीक से समझ नहीं पाए। दक्षिण अफ्रीका ए ने 325/6 का बड़ा स्कोर बनाया, जिसका श्रेय ल्हुआन-ड्रे प्रेटोरियस को जाता है, जिन्होंने 98 गेंदों में 123 रन बनाए। उनके बाद टीम के बाकी बल्लेबाज भी आराम से बल्लेबाजी कर सके। भारत ए के लिए हर्षित राणा ने 10 ओवर में 47 रन देकर 2 विकेट लिए, लेकिन यह बहुत कम था। जब भारत ए बल्लेबाजी पर आया, तो उनका सफर जल्दी ही खत्म हो गया। आयुष बड़ोनी ने 66 रनों का शानदार प्रदर्शन किया, लेकिन बाकी बल्लेबाज लगातार आउट होते रहे। दक्षिण अफ्रीका के फास्ट बॉलर एनकाबा पीटर ने 10 ओवर में 48 रन देकर 4 विकेट लिए। भारत ए 252/9 पर आउट हो गया — और दक्षिण अफ्रीका ए ने 73 रनों से जीत दर्ज की।
अनौपचारिक टेस्ट सीरीज: बेंगलुरु में भी दिखी ताकत
ओडीआई सीरीज से पहले, दोनों टीमों ने बेंगलुरु के एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम में दो अनौपचारिक टेस्ट खेले। पहले टेस्ट में भारत ए ने 382/7 घोषित किया, जिसमें विकेटकीपर-बल्लेबाज ध्रुव जुरेल ने 170 गेंदों में 127* रन बनाए। दक्षिण अफ्रीका ए ने जवाब में 417/5 का जबरदस्त स्कोर खड़ा किया, जिसमें जॉर्डन हरमैन ने 91 रन बनाए। दूसरा टेस्ट भी चला, लेकिन उसका विस्तृत आंकड़ा जारी नहीं किया गया। यह दर्शाता है कि दोनों टीमें बल्लेबाजी और गेंदबाजी दोनों के मामले में अच्छी तैयारी कर रही थीं।
यह सीरीज क्यों मायने रखती है?
इन अनौपचारिक मैचों का कोई पुरस्कार नहीं था, कोई रैंकिंग नहीं थी। लेकिन फिर भी यह बहुत मायने रखता है। भारत ए के लिए यह एक टेस्ट टीम के लिए बाहरी अनुभव देने वाला मौका था — खासकर उन खिलाड़ियों के लिए जो अभी तक राष्ट्रीय टीम में नहीं आए हैं। रुतुराज गैकवाड, निशांत सिंधु, आयुष बड़ोनी — सभी ने अपने खेल के साथ अपनी नॉमिनेशन की बात कही। दक्षिण अफ्रीका ए के लिए भी यह एक अवसर था — टेम्बा बावुमा जैसे अनुभवी खिलाड़ियों को युवा खिलाड़ियों के साथ खेलने का मौका मिला। यह सीरीज बिल्कुल उसी तरह थी जैसे 2018 में ऑस्ट्रेलिया ए और भारत ए के बीच हुई सीरीज, जिसमें श्रेयस अय्यर और बेन स्टोक्स ने अपनी टीम के लिए अपनी बात बनाई थी।
अगला कदम: एशियाई खेल और चैम्पियंस ट्रॉफी की तैयारी
अब भारत ए के लिए अगला लक्ष्य एशियाई खेल है, जहां वे राष्ट्रीय टीम के बजाय ए-टीम के साथ प्रतिस्पर्धा करेंगे। दक्षिण अफ्रीका ए अगले महीने इंग्लैंड की यात्रा पर जा रहा है, जहां उनके लिए यह एक और बड़ा चुनौती होगी। दोनों बोर्ड्स ने इस सीरीज के लिए कोई राशि नहीं घोषित की, लेकिन इसका खेल के विकास पर असर अनमोल है। आज के युवा खिलाड़ियों की ताकत भविष्य की टीम की ताकत है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
भारत ए ने आखिरी मैच हारने के बाद भी सीरीज कैसे जीती?
क्रिकेट में सीरीज की जीत अकेले आखिरी मैच के नतीजे पर नहीं, बल्कि सभी मैचों के कुल नतीजों पर निर्भर करती है। भारत ए ने पहले दो मैच जीते, जिससे उनके पास सीरीज के लिए दो जीत थीं। तीसरे मैच में हारने के बावजूद, वे 2-1 से सीरीज जीत गए। यह नियम किसी भी तीन मैचों की सीरीज के लिए लागू होता है।
रुतुराज गैकवाड का इस सीरीज में क्या योगदान रहा?
रुतुराज गैकवाड ने तीनों मैचों में बल्लेबाजी करते हुए 117, 68* और 32 रन बनाए। उन्होंने टीम के लिए दो शतक और एक अर्धशतक दिया, जिससे उन्हें सीरीज का सर्वाधिक रन बनाने वाला बल्लेबाज बनाया। उनकी शांत और दृढ़ बल्लेबाजी ने भारत ए के लिए आधार बनाया।
निशांत सिंधु की गेंदबाजी क्यों इतनी प्रभावी रही?
21 साल के निशांत सिंधु ने दूसरे मैच में 7 ओवर में 16 रन देकर 4 विकेट लिए, जिससे दक्षिण अफ्रीका ए का स्कोर सिर्फ 132 रह गया। उनकी स्पिन और गेंद का घूमना दक्षिण अफ्रीका के बल्लेबाजों के लिए बहुत कठिन था। उनकी यह प्रदर्शन उन्हें राष्ट्रीय टीम के लिए एक बड़ा दावेदार बना दिया।
इस सीरीज का भविष्य के खिलाड़ियों पर क्या प्रभाव पड़ा?
आयुष बड़ोनी, हर्षित राणा, और ल्हुआन-ड्रे प्रेटोरियस जैसे युवा खिलाड़ियों ने इस सीरीज में अपनी ताकत दिखाई। इन खिलाड़ियों के प्रदर्शन ने चयनकर्ताओं को उन्हें राष्ट्रीय टीम के लिए विचार करने के लिए प्रेरित किया। यह टीम अब एक बड़ा टैलेंट पाइपलाइन बन गई है।
क्या यह सीरीज आधिकारिक मानी जाती है?
नहीं, यह अनौपचारिक सीरीज है। इसके मैचों के आंकड़े आधिकारिक रिकॉर्ड में शामिल नहीं होते, लेकिन ये मैच खिलाड़ियों के लिए अनुभव और प्रदर्शन के लिए बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। ये टीमें आमतौर पर राष्ट्रीय टीम के लिए ट्रायल और तैयारी के लिए खेलती हैं।
भारत ए और दक्षिण अफ्रीका ए के खिलाड़ियों में क्या अंतर था?
भारत ए में ज्यादातर खिलाड़ी 21-24 साल के थे, जबकि दक्षिण अफ्रीका ए में टेम्बा बावुमा (35) जैसे अनुभवी खिलाड़ियों के साथ युवा टैलेंट थे। भारत ए की टीम अधिक युवा और तेज थी, जबकि दक्षिण अफ्रीका ए की टीम अनुभव और स्थिरता पर आधारित थी। यह अंतर दोनों टीमों के खेल के अंदाज़ में दिखा।
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