Saiyaara फिल्म रिव्यू: कहानी, अभिनय और संगीत का पूरा विश्लेषण

अगर आप हाल ही में रिलीज़ हुई बॉलीवुड फिल्म Saiyaara के बारे में सोच रहे हैं, तो यह रिव्यू आपके लिये है। मैं सीधे बात करता हूँ‑ क्या फिल्म में कुछ नया है, किसने किस तरह का काम किया और आपको फिल्म देखनी चाहिए या नहीं। बिना किसी फालतू बात के शुरू करते हैं।

कहानी का सार

साइयारा एक साधारण गाँव की कहानी है जहाँ दो युवा, रिया और अभिषेक, अपने सपनों को साकार करने की कोशिश में होते हैं। कहानी में प्रेम, दोस्ती और परिवार के बीच के रिश्ते को बड़े सरल ढंग से दिखाया गया है। एक बड़ा मोड़ तब आता है जब अभिषेक को शहर में नौकरी का ऑफर मिलता है, जिससे रिया को अपने भविष्य के बारे में सोचना पड़ता है। पूरे फिल्म में कई बार ‘क्या करना चाहिए?’ का सवाल दोहराया जाता है, जिससे दर्शक भी आत्म‑निरीक्षण कर बैठते हैं। कुल मिलाकर कहानी बहुत बोरिंग नहीं है, पर कभी‑कभी लंबी लगती है क्योंकि स्क्रिप्ट में नई सोच की कमी है।

अभिनय और संगीत

मुख्य भूमिका में नयी लहर की अभिनेत्री नेरा ने रिया का किरदार निभाया। उनका अभिनय सहज और भरोसेमंद था, खासकर भावनाओं को दिखाते समय उनकी आँखों का इशारा बहुत असरदार था। अभिषेक का किरदार नवोदित अभिनेता अरोन ने संभालते हुए ज्यादा चमके नहीं, पर उनका डायलॉग डिलीवरी स्पष्ट था। दोनों ने मिलकर कहानी को आगे बढ़ाया, पर कभी‑कभी भावनात्मक सीन में म्यूजिकल लाइन्स ज्यादा भारी पड़ती थीं। फिल्म का संगीत पारंपरिक और आधुनिक धुनों का मिश्रण है। गाने ‘सपनों की राह’ और ‘दिल की धड़कन’ विशेष रूप से मेरे प्लेलिस्ट में जगह बनाते हैं। संगीतकार ने पृष्ठभूमि में हल्की फ़्लूट और पियानो का प्रयोग किया, जिससे दृश्य और भावनात्मक जुड़ाव बना रहता है। हालांकि, दो-तीन गानों में रीमिक्स बहुत ज़्यादा हाई बीट के कारण कहानी के साथ ताल नहीं बिठा पाते। सामान्य तौर पर, फिल्म की तकनीकी पक्ष (सिनेमाटोग्राफी, एडिटिंग) ठीक‑ठाक हैं। गाँव की लैंडस्केप को कैमरा अच्छी तरह कैप्चर करता है और रोज़मर्रा की जिंदगी को सादे रंगों में दिखाता है। इस वजह से फिल्म की दृश्यता में बहुत ज्यादा जटिलता नहीं आती, जो कि भावनात्मक सीन को आसान बनाती है।

तो, कुल मिलाकर Saiyaara एक मध्यम दर्जे की फ़िल्म है। अगर आप एक लाइट‑हृदय कहानी चाहते हैं जिसमें ठोस भारतीय सांस्कृतिक तत्व हों, तो यह आपके लिये काम आ सकती है। लेकिन अगर आप को हाई‑एक्शन या डीप थ्रिल वाला फ़िल्म देखना है, तो थोड़ा निराश हो सकते हैं। अंत में, मैं कहूँगा‑ एक बार देखिए, अपनी पसंद के हिसाब से आगे का फैसला करें।

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